https://youtu.be/9sp4pP6bB08?si=cBV4cAcWdZ_ER8RC

Hindi Summarize

नमस्कार दोस्तों, 24 मई सन 1987 कनाडा में 23 साल का एक आदमी केने पार्क्स आधी रात को अपने सोफे पर सो रहा था। यह हॉर्स रेसिंग में अपने सारे पैसे हार चुका था। पूरी तरीके से कर्ज में डूबा हुआ था और अपनी नौकरी भी खो चुका था। कुछ ही घंटे पहले यह टीवी पर सैटरडे नाइट लाइफ देखकर सोया था। अगले दिन इसका प्लान था कि सुबह उठकर अपने इनलॉस के घर जाएगा उनसे पैसों की मदद मांगने के लिए। लेकिन सुबह होने से पहले ही रात के करीब 1:30 बजे अचानक से यह अपने सोफे से उठकर गाड़ी में बैठ जाता है। [संगीत] बीच रात में ही यह हाईवे पर करीब 22


कि.मी. ड्राइव करके अपने इनलॉस के घर पहुंच जाता है। इसके पास घर की एक चाबी भी थी जिससे गेट खोलकर सीधा अंदर घुस गया। यहां यह अपनी मदर इन लॉ की हत्या कर देता है और फादर इन लॉ को सीवियरली इंजर कर देता है। इतना ही नहीं फिर यह खून में सना और कंफ्यूज स्टेट में पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है और सीधा जाकर पुलिस को कहता है कि मैंने अभी दो लोगों को मार दिया है। इसके हाथों पर बहुत गहरे घाव थे। लेकिन इसे कोई दर्द नहीं हो रहा था। एंबुलेंस से हॉस्पिटल जाते वक्त इसने अपना मर्डर वेपन चाकू कहां रखा था यह भी बता दिया। लेकिन



सबसे अजीब चीज इस कहानी में यह है कि कैनथ पार्क्स के पास अपने इनलॉज़ को मारने की कोई वजह नहीं थी। ट्रायल के दौरान इसके वकीलों ने जो कहा वो सुनकर सब शॉक्ड रह गए। उनका कहना था कि कैनेथ पार्क्स ने यह क्राइम सोते-सोते किया है। वो होश में नहीं था। इसलिए उसे कोई सजा नहीं मिलनी चाहिए। क्योंकि कैनथ पार्क्स यहां स्लीप वॉक कर रहा था। क्या कैनेथ पार्क सही में स्लीप वॉक कर रहा था? क्या किसी के लिए नींद में सोते-सोते यह सब करना पॉसिबल भी है? अगर कोई स्लीप वॉकिंग करते हुए ऐसा करता है तो वो उसके लिए रिस्पांसिबल माना जाता है या नहीं? और


सबसे बड़ा सवाल दोस्तों आखिर कुछ लोग नींद में ऐसे बिहेव कैसे करते हैं? क्या है इसके पीछे की साइंस? आइए समझते हैं स्लीप वॉकिंग की मिस्ट्री आज के इस वीडियो में। वीडियो शुरू करने से पहले बताना चाहूंगा ध्रुव राठी एकडमी पर दिवाली धमाका सेल चल रही है मेरे सारे कोर्सेज पर फ्लैट 50% ऑफ यानी कि मेरा टाइम मैनेजमेंट कोर्स जहां पर आप प्रोडक्टिविटी और हैप्पीनेस को मैक्सिमाइज करना सीखेंगे या फिर मेरा YouTube ब्लूप्रिंट कोर्स जो आपको एक कंटेंट क्रिएटर बनना सिखाता है। कैसे आप YouTube को एक पार्ट टाइम जॉब या फुल टाइम


करियर बना सकते हो। या फिर मेरा 10:30 घंटे का हाइली डिटेल्ड मास्टर एआई चैटबॉट्स कोर्स जो आपको चैट जीपीटी, जेमिनाई डीप सीक जैसे एआई टूल्स की थ्योरी, प्रैक्टिकल सब कुछ सिखाता है। इन सब में से आप कोई भी कोर्स खरीदो 2 अक्टूबर तक आपको फ्लैट 50% ऑफ मिलेगा। पूरे साल का बेस्ट डिस्काउंट और इतना ही नहीं। मेरे एi प्लेटफार्म AI PST पर भी 41% ऑफ मिलेगा आपको इस सेल में। अगर आप उसके एनुअल सब्सक्रिप्शन को खरीदोगे तो। जरूर जाकर चेक आउट करना। इन सबका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा। या फिर आप इस क्यूआर कोड को भी स्कैन कर सकते हो।


और अब अपने टॉपिक पर आते हैं। स्लीप वॉकिंग को मेडिकल टर्म्स में सोमना एंबुलिज्म कहा जाता है। यह एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है जो नॉन रम स्लीप के दौरान होता है। असल में बात क्या है दोस्तों? इंसानों में नींद को मोटे-मोटे तौर पर दो हिस्सों में डिवाइड किया जाता है। एक होती है रैपिड आई मूवमेंट स्लीप जिसे रम स्लीप भी कहा जाता है और दूसरी होती है नॉन रैपिड आई मूवमेंट यानी कि एनरेम स्लीप। जैसा कि आप इनके नाम से समझ सकते हो। और रम स्लीप में जब हम सोते हैं तब हमारी आइज रैपिडली मूव करती रहती है। आंख बंद होती है लेकिन आई बॉल बड़ी


रैपिडली हिलती रहती है और एन रम स्लीप में ऐसा नहीं होता। तो सबसे पहले जब हम सोने जाते हैं रात को हम एनरम स्लीप में एंटर करते हैं। एनरम स्लीप की अपने आप में तीन अलग स्टेजेस होती हैं। पहली स्टेज में हमें हल्की-हल्की नींद आने लगती है और किसी आवाज या एक्सटर्नल एक्टिविटी पर रिएक्ट करने की एबिलिटी कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे ये नींद गहरी होती जाती है और एनरेम की स्टेज थ्री सबसे गहरी नींद होती है। इस स्टेज में किसी सोते हुए इंसान को जगाना काफी मुश्किल होता है और अगर जगा भी दिया जाए तो वो इंसान कंफ्यूजन


और डिसओरिएंटेड फील करने लगता है। फिर एनरेम की तीनों स्टेजेस के बाद इंसान रेम स्लीप में एंटर करता है और सपने इसी स्टेज में आते हैं। इस स्टेज में हमारा हार्ट रेट बढ़ने लगता है और ब्रेन रिलेटिवली ज्यादा एक्टिव हो जाता है। हमारा दिमाग मेमोरीज को कंसोलिडेट करने के लिए और इमोशंस को प्रोसेस करने के लिए काम करने लगता है। यही कारण है सपने आने के पीछे। वैसे सपने आना अपने आप में ही एक बहुत डिटेल्ड और अलग टॉपिक है। उसकी चर्चा किसी और वीडियो में करेंगे। लेकिन स्लीप वॉकिंग की बात की जाए तो स्लीप वॉकिंग रेम स्टेज


में नहीं होती। स्लीप वॉकिंग होती है सबसे गहरी नींद एनरम की स्टेज थ्री में। एक इंसान जो अपनी नींद में चलने लगे हो सकता है उसकी आंखें खुली हों और वो अपने आसपास के इवेंट्स को लेकर रिएक्ट कर रहा हो। इसे देखकर कुछ लोगों को लग सकता है कि यह तो जागा हुआ है। यह कॉन्शियस है। लेकिन असलियत में उसके सारे सेंसरी परसेप्शनंस लगभग बंद होते हैं। यानी कि उसकी आंखें खुली होंगी लेकिन वो चीजों को देख नहीं पाएगा, सूंघ नहीं पाएगा, सुन नहीं पाएगा। अपनी हैबिट के चलते और हल्कीफुल्की ठोकर खाकर वो रास्ते में रखी चीजों से बचकर


निकल जरूर सकता है लेकिन रियलिटी में वह कुछ सोच समझ नहीं रहा होता। वैसे आमतौर पर देखा जाए तो स्लीप वॉकर्स की आंखें ऊपर और अंदर की तरफ मुड़ी रहती हैं और उनके चेहरे पर एक ब्लैंक एक्सप्रेशन रहता है। और सबसे इंपॉर्टेंट बात यह है कि स्लीप वॉकिंग के दौरान हुई घटना जागने के बाद याद नहीं रहती। अगर किसी इंसान को स्लीप वॉकिंग के दौरान जगा दिया जाए तो वो कुछ समय तक कंफ्यूज्ड और डिसओरिएंटेड रहता है। वही चीज जो तब होती है जब आप किसी को एनरेम की स्टेज थ्री स्लीप में जगा देते हो। अब इंसानों का क्या है कि हम लोग स्लीप


साइकिल्स में सोते हैं। एक स्लीप साइकिल में यह चारों स्लीप स्टेजेस एक के बाद एक आती रहती है। n1, n2, n3, रेम स्लीप और उसके बाद फिर से एन1 आ गई। एक स्लीप साइकिल 90 मिनट से लेकर 110 मिनट के बीच तक चलती है। जब आप सोने जाते हो तो फर्स्ट हाफ ऑफ द नाइट में एन3 का जो हिस्सा है वो एक स्लीप साइकिल में रिलेटिवली ज्यादा बड़ा होता है और जैसे-जैसे सुबह करीब आती है रम स्लीप साइकिल का हिस्सा बढ़ता रहता है। सुबह उठने के लिए जागने के लिए सबसे कंफर्टेबल रहता है जब आप एन वन के हिस्से में उठो तो। एन वन के हिस्से में अगर आपकी


नींद खुलेगी तो आप काफी फ्रेश और एनर्जेटिक फील करोगे। लेकिन अगर आप N3 के हिस्से में जागते हो तो आप काफी सोता-सोता और ड्राउजी फील करोगे। इसी कारण से आपने अक्सर सोशल मीडिया पर एडवाइस देखा होगा कि अगर आप रात को सोते हो तो या तो 7 1/2 घंटे सो या 9 घंटे सो क्योंकि ये स्लीप साइकिल के एंड का टाइम होगा मोस्ट प्रोबेब्ली। क्योंकि यह कहते वक्त अस्यूम किया जा रहा है कि डेढ़-डेढ़ घंटे की स्लीप साइकिल चल रही है। लेकिन असलियत में ये चीज पर्सन टू पर्सन डिपेंड करती है कि आपकी स्लीप साइकिल एक्सजेक्टली कितनी लंबी है। आपको खुद देखना पड़ेगा कि कितने घंटे


सोने के बाद आप फ्रेश फील करते हो। उसी से ही आप अंदाजा लगा सकते हो कि आप एन वन स्लीप में उठते हो या किसी और स्टेज ऑफ स्लीप में उठते हो। स्लीप वॉकिंग पर वापस आए तो स्लीप वॉकिंग के एपिसोड्स कुछ मिनट से लेकर कई घंटे तक के हो सकते हैं। फ्रीक्वेंसी भी अलग-अलग रहती है। किसी को महीने में एक बार एपिसोड हो जाता है तो किसी को एक हफ्ते में कई बार। सबसे कमाल की चीज तो यहां पर यह है कि कुछ लोग स्लीप वॉकिंग करते-करते क्या-क्या कर लेते हैं। जैसे कि ब्रिटिश ऑस्ट्रेलियन आर्टिस्ट ली हैडविन का एग्जांपल देखिए। यह भाई साहब


स्लीप वॉकिंग करते-करते पेंटिंग कर सकते हैं। मजाक नहीं कर रहा ये एक सच्ची कहानी है। यह जब 15 साल के थे तभी इन्होंने सोते-सोते स्लीप वॉकिंग करते हुए फेमस हॉलीवुड एक्ट्रेसेस की तीन पेंटिंग्स बना दी। और सबसे अजीब बात यह है कि ये होश में रहते-रहते पेंटिंग नहीं कर पाते। सिर्फ नींद में ही पेंट कर सकते हैं। इज एक्सप्रेसिंग दिस बाय क्रिएटिंग आर्ट वर्क। इट्स जस्ट अ रियली नाइस मैनिफेस्टेशन ऑफ मोर इमोशनल सिस्टम इज डूइंग व्हेन इट्स नॉट इनबिटेड बाय दी फ्रंटल एरियाज इसी तरीके से स्कॉटलैंड में एक केस देखा गया रॉबर्ट वुड का जो रात में उठकर खाना


बनाने लगते हैं। यह नींद में रहते-रहते ही ऑमलेट से लेकर पास्ता जैसी डिशेस को तैयार कर देते हैं जिसके कारण इन्हें स्लीप वॉकिंग शेफ कहा जाता है। कुछ फेमस इंडियन एग्जांपल्स की बात करें तो क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी अपने करियर की शुरुआत में स्लीप वॉकिंग की आदत थी। सौरव गांगुली ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1990 में जब वो इंग्लैंड में रूममेट्स थे, तब सचिन रात के 1:30 बजे उठकर पहले कमरे में एमलेसली घूमते फिर चेयर पर बैठ जाते। रूममेट था दोनों इंग्लैंड में। तो एक दिन रात को देखा कि ये बंदा ना चल रहा है रूम में।


घूम-घूम के घूम-घूम के चेयर पे बैठता है। जब गांगुली ने सचिन से पूछा कि वो ऐसा क्यों करते हैं? तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें नींद में चलने की आदत है। तो मैंने उसको अगले दिन कहा यार तू तो डरा रहा है मुझे। तू कर क्या रहा है रात को? हां। नहीं, नहीं, मैं रात को चलता हूं नींद में। तो, उसको यह आदत थी रात को नींद में चलना। लेकिन, अनफॉर्चूनेट चीज़ यह है दोस्तों, कि स्लीप वॉकिंग में हर कोई इतना क्रिएटिव या कोई इतनी हार्मलेस एक्टिविटी नहीं करता। कई बार लोग वायलेंट हो जाते हैं और क्राइम्स कर देते हैं। जैसा कि कनाडा में


केनेथ पार्क्स का केस था। इसके बारे में बात मैं आगे वीडियो में करता हूं। लेकिन पहले जानते हैं कि यह स्लीप वॉकिंग होती ही क्यों है? इंडिया में स्लीप वॉकिंग को लेकर कई सारी अफवाहएं फैली हुई है। कोई इन्हें भूत प्रेत से जोड़कर देखता है तो कोई कहता है कि यह पास्ट लाइफ की मेमोरीज हैं। [संगीत] लेकिन असलियत यही है दोस्तों कि इसका किसी भूत प्रेत, पास्ट लाइफ, स्पिरिट्स किसी से कोई संबंध नहीं है। स्लीप वॉकिंग एक प्योरली न्यूरोलॉजिकल फिनोमिना है। यह होता है ब्रेन की इनकंप्लीट अवेकनिंग से। यानी कि इंसानी ब्रेन का कुछ हिस्सा सोया


हुआ रहता है और कुछ हिस्सा जाग जाता है। अब ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे एग्जैक्ट रीजनिंग इतनी क्लियर नहीं है। लेकिन लेटेस्ट साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक जब शरीर गहरी नींद में जाने की तैयारी कर रहा होता है। जब N3 स्लीप स्टेज में जाने की तैयारी हो रही होती है। तभी कुछ ऐसा हो जाता है कि ये ट्रांजिशन अच्छे से नहीं हो पाता। गहरी नींद और जागने के प्रोसेससेस ओवरलैप कर जाते हैं। क्योंकि जब कोई स्लीप वॉक करता है तो उसके दिमाग का वह हिस्सा जो मूवमेंट कंट्रोल कर रहा है वह जाग जाता है लेकिन कॉन्शियसनेस वाला हिस्सा सोया


रहता है। इसी रीजन से मोटर एक्टिविटीज करनी पॉसिबल है स्लीप वॉकिंग करते हुए। लोग चल सकते हैं, बैठ सकते हैं, खड़े हो सकते हैं और यहां तक कि कुछ लोग तो गाड़ियां ड्राइव कर सकते हैं, खाना बना सकते हैं और पेंट भी कर सकते हैं। यह इसलिए पॉसिबल है क्योंकि दिमाग के हायर न्यूरल स्ट्रक्चर्स के इन्वॉल्वमेंट के बिना भी ब्रेन स्टेम और सेरेबलम जैसे पार्ट्स कॉम्प्लेक्स इमोशनल और मोटर बिहेवियर्स को कंट्रोल कर सकते हैं। हमारे शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम आपने स्कूल में पढ़ा होगा। हमारी कॉन्शियस विल के बिना, हमारी मर्जी के बिना सांस लेता रहता


है। हार्ट रेट और डाइजेशन जैसे फिजियोलॉजिकल फंक्शनंस को कंट्रोल करता रहता है। हमारी बॉडी को इन सभी कामों को करने के लिए सोचने की जरूरत नहीं होती। इसी ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम की दो ब्रांचेस होती हैं। एक सिंपैथेटिक ब्रांच जो फाइट और फ्लाइट रिस्पांस देखती है। यानी किसी खतरे के समय रिस्पांससेस को कंट्रोल करती है और दूसरी पैरासिंैथेटिक ब्रांच जो रेस्ट एंड डाइजेस्ट रिस्पांससेस को कंट्रोल करती है। स्लीप वॉकर्स में इस ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम को लेकर 2021 में एक बड़ी इंटरेस्टिंग डिस्कवरी हुई। इस रिसर्च ने यह पाया कि स्लीप वॉकर्स में N3


स्लीप के दौरान सिंपैथेटिक ब्रांच में कम एक्टिविटी होती है और पैरासिंैथेटिक ब्रांच एलिवेटेड रहती है। यानी कि रेस्ट और डाइजेस्ट रिस्पांसेस ज्यादा एक्टिवेट हो जाते हैं और फाइट और फ्लाइट रिस्पांसेस काफी कम हो जाते हैं। यह एक बड़ी हैरान कर देने वाली डिस्कवरी थी क्योंकि इससे पहले तक माना जाता था कि स्लीप वॉकर्स के डीप स्लीप में रेस्ट एंड डाइजेस्ट रिस्पॉन्ससेस कम और फाइट और फ्लाइट रिस्पांससेस ज्यादा होंगे और इसी कारण से वो स्लीप वॉक कर रहे होंगे। लेकिन लेटेस्ट रिसर्च से इसका एग्जैक्ट ऑपोजिट सामने आया।


[संगीत] कुछ और रीसेंट स्टडीज के मुताबिक ओल्डर एडल्ट्स में स्लीप वॉकिंग, डिमेंशिया या पार्किंस डिजीज जैसी न्यूरो डिजनरेटिव डिजीजेस या कॉग्निटिव डिक्लाइन का संकेत हो सकता है। यहां पर एक और बड़ी कॉमन मिथ है कि जो लोग स्लीप वॉकिंग करते हैं, वो ज़ॉम्बीज़ की तरह अपने हाथ ऐसे आगे उठाकर चलते हैं। लेकिन असलियत में ऐसा है नहीं। इसके अलावा एक और मिसकंसेप्शन जो लोगों को होता है कि अगर स्लीप वॉकर्स को नींद से जगा दिया जाए तो उन्हें हार्ट अटैक आ सकता है या वो कोमा में जा सकते हैं। यह बात भी सच नहीं है लेकिन जैसा मैंने पहले बताया


अच्छा यही रहता है कि उन्हें नींद से ना उठाया जाए क्योंकि वो कंफ्यूज्ड और बहुत ज्यादा डिसओरिएंटेड फील करेंगे। अब एक सवाल यहां पर यह भी है कि दुनिया में कितने परसेंट लोगों को स्लीप वॉकिंग का यह स्लीप डिसऑर्डर है। इस मेटा एनालिसिस के मुताबिक 6.9% लोग अपनी लाइफ में कभी ना कभी एक बार जरूर स्लीप वॉक करेंगे। बच्चों में स्लीप वॉकिंग सबसे ज्यादा कॉमन है। स्लीप वॉकिंग के एपिसोड 7 से 15 साल के मेल्स में सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। लेकिन फॉर्चूनेटली ज्यादातर केसेस में यह बड़े होने पर बंद भी हो जाते हैं। बच्चों में जब स्लीप


वॉकिंग होती है तो ये बच्चे स्लीप वॉकिंग करते समय जनरली ज्यादा शांत या सुस्त नजर आते हैं। लेकिन एडल्ट्स में स्लीप वॉकर्स बड़ी क्विक मूवमेंट्स करते हैं। जैसे कि वो किसी जल्दी में हो। वो बड़ी जल्दी-जल्दी में कहीं पर चलने लगते हैं या कहीं पर बैठ जाते हैं। कई बारी बड़ी ही अजीबोगरीब मूवमेंट्स देखने को मिलती है जो कुछ लोगों को डरावनी भी लग सकती है। एक्जेक्टली बच्चों और एडल्ट्स में इतना डिफरेंस क्यों देखने को मिलता है इसका कारण अभी हमें पता नहीं है। साइंटिस्ट इसका रीजन अभी भी ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। अब आपको स्लीप वॉकिंग होगी या नहीं,


इसके पीछे जेनेटिक्स एक बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। जामा पीडिएट्रिक्स में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक जिन बच्चों के एक पेरेंट की स्लीप वॉकिंग की हिस्ट्री होती है उनके स्लीप वॉकिंग के 47.4% चांसेस होते हैं। लेकिन अगर दोनों पेरेंट्स की स्लीप वॉकिंग की हिस्ट्री है तो बच्चों में चांसेस बढ़कर 61.5% हो जाते हैं। जबकि ऐसे बच्चे जिनके किसी भी पेरेंट में स्लीप वॉकिंग नहीं देखी गई है उनमें स्लीप वॉकिंग के चांसेस केवल 22.5% रहते हैं। रिसर्चर्स ने क्रोमोसोम 20q12 -13.12 के एक जेनेटिक लोकस को आइडेंटिफाई किया है


जिसका स्लीप वॉकिंग डिसऑर्डर को पेरेंट्स से बच्चों में इन्हेरिट करने में एक रोल हो सकता है। लेकिन जेनेटिक्स के अलावा कई और ऐसी चीजें हैं जो ससेप्टेबल लोगों में स्लीप वॉकिंग के एपिसोड्स ट्रिगर कर सकती है। जैसे कि पहला और सबसे बड़ा कारण है स्लीप डेप्रिवेशन। नींद की कमी। शरीर को सही तरीके से जागने के लिए सफिशिएंट स्लो वेव स्लीप चाहिए होती है। लेकिन जब नींद ढंग से पूरी नहीं होती तो किसी इंसान के पार्शियल अवेकनिंग और स्लीप वॉकिंग के चांसेस बढ़ जाते हैं। दिमाग अपनी नींद को पूरा करने के लिए लंबे समय तक डीप स्लीप


में अटका रहता है और अगली स्टेज में स्मूथ ट्रांजिशन नहीं हो पाता। दूसरा स्ट्रेस के कारण भी स्लीप वॉकिंग के एपिसोड्स हो सकते हैं। तीसरा ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक और इंपॉर्टेंट फैक्टर है। यह एक ब्रीथिंग डिसऑर्डर है जिसमें सोते समय शॉर्ट पीरियड के लिए ब्रीथिंग रुक सकती है। अगर किसी को सीवियर ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया है तो उसके स्लीप वॉकिंग के चांसेस और बढ़ जाते हैं। चौथा सेडिटिव्स, एंटी डिप्रेसेंट्स और एंटीसाइकोटिक्स जैसी मेडिकेशंस जो अक्सर हार्ट डिजीजेस और ए्जायटी को ट्रीट करने के लिए दी जाती हैं। यह भी स्लीप


वॉकिंग का रिस्क बढ़ा देती हैं। दूसरी तरफ बच्चों में देखा जाए तो फीवर आना या कोई बीमारी होना इसके कॉमन ट्रिगर्स हो सकते हैं। अस्थमा से पीड़ित बच्चों में स्लीप वॉकिंग के ज्यादा केसेस देखने को मिलते हैं। अस्थमा की वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती जिससे बच्चों में स्लीप वॉकिंग ट्रिगर हो जाती है। लेकिन अब दोस्तों अपनी वीडियो की पहली कहानी पर वापस आए तो सवाल यह है कि क्या स्लीप वॉक करते हुए वो इंसान अगर क्राइम कर दे तो क्या उसे गुनहगार माना जाएगा? यह पूरी चीज एक बहुत बड़ी लीगल माइंड फील्ड है। क्योंकि क्रिमिनल लॉ में दो चीजें इंपॉर्टेंट होती


हैं। एक जो क्राइम किया गया है और दूसरा इंटेंट यानी कि गिल्टी माइंड। किसी क्राइम के लिए कॉन्विक्ट किए जाने के लिए किसी व्यक्ति का केवल क्राइम करना जरूरी नहीं होता बल्कि इंटेंट साबित भी करना होता है कि उस इंसान ने यह क्यों करना चाहा? आखिर क्या कारण था यह क्राइम करने के पीछे? और स्लीप वॉकर्स के केस में बॉडी तो क्राइम कर रही है लेकिन उनका दिमाग इसमें इनवॉल्व नहीं होता। मतलब क्राइम हुआ है लेकिन इंटेंट नहीं है। केनेथ पार्क्स के केस में भी उसके वकीलों ने यही आर्गुमेंट कोर्ट में प्रेजेंट किया कि क्राइम के लिए केनेथ


को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उसने अपनी मर्जी से यह नहीं किया है। उसकी बॉडी ने क्राइम जरूर किया है लेकिन उसका दिमाग दोषी नहीं है। यह चीज मेडिकल एक्सपर्ट्स ने भी टेस्टिफाई करी कि क्राइम के समय केनेथ स्लीप वॉक कर रहा था और इसी कारण से जूरी ने पार्क्स को एक्विट कर दिया। उसे दोषी नहीं ठहराया गया। यह केस पूरी दुनिया में स्लीप वॉकिंग डिफेंस के लिए एक लैंडमार्क केस बन गया। लेकिन इंपॉर्टेंट चीज यहां यह भी है बतानी दोस्तों कि स्लीप वॉकिंग का डिफेंस हर बार सक्सेसफुल नहीं होता। क्योंकि ऐसे तो कोई


भी व्यक्ति स्लीप वॉकिंग की हिस्ट्री दिखाकर क्राइम करके कभी भी बच जाएगा। ऐसे केसेस में सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि जज और जूरी को स्लीप वॉकर की कहानियों पर कितना यकीन होता है। आमतौर पर कोर्ट्स स्लीप वॉकिंग के डिफेंस को लेकर बड़े स्केप्टिकल रहते हैं। क्योंकि वो जानते हैं काफी सारे क्रिमिनल्स इस बहाने का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे अपने आप को बचाने के लिए। एक जज ने तो एक बार इसे क्वागमा ऑफ लॉ कानून का दलदल तक कह दिया था। इसी कारण से स्लीप वॉकिंग का डिफेंस कोर्ट्स में काफी ज्यादा कंट्रोवर्शियल


रहा है। सन 1997 में अमेरिका में स्कॉट फेलेटर नाम के एक आदमी ने घर पर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। 44 अपने डिफेंस में उसने कहा कि वो स्लीप वॉकिंग कर रहा था। द डिफेंस ट्राइड टू से दिस वाले एक्टिंगली दिस वास मॉन्स। दो एक्सपर्ट्स ने इसे टेस्टिफाई भी किया कि स्कॉट स्लीप वॉक कर रहा था। ओपिनियन ही वाली इट्स स्टंग बिलीफ वासिन लेकिन कोर्ट में सारी आर्गुममेंट सुनने के बाद जरी को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ। मर्डर वेपन एक हंटिंग स्टाइल चाकू था। उसकी गाड़ी के स्पेयर टायर स्टोरेज एरिया में मिला। इस बात से माना गया कि उसने


अपने मर्डर वेपन को छुपाने की कोशिश की थी। स्कॉट ने इस इंसिडेंट के बाद अपने कपड़े उतार कर एक प्लास्टिक बैग में भी रखे थे और इन्हें छिपा कर पजामा भी पहन लिया था। [संगीत] उसके पड़ोसी ग्रेग ने कोर्ट को यह भी बताया था कि उसने अपनी पत्नी को पूल में डूबाने से पहले ग्लव्स पहने हुए थे। टेस्टिफाई दैट ही सीट ऑन ग्लव्स एस ही अप्रोचेस बॉडी। इसके अलावा इस पूरी कहानी में यह भी देखा गया कि एक स्लीप वॉकर के लिए केवल एक एपिसोड में इतना सब कुछ कर पाना बहुत ही अनयूजुअल होता है। उसके एक्शनंस काफी लंबे और काफी पर्पसफुल थे।


जिसके कारण जरी ने नहीं माना कि वो स्लीप वॉक कर रहा था और उसे उम्र कैद की सजा सुना दी गई। रिमाइंडर नेचुरल लाइफ इन द डिपार्टमेंट करेक्शन। इंडिया की लीगल हिस्ट्री में स्लीप वॉकिंग का सबसे पुराना और इंपॉर्टेंट केस है पपाती अमालका। यह एक यंग मदर थी जिन्होंने कुछ दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया था। लेकिन 28 अक्टूबर साल 1957 की रात को यह अपने बच्चे के साथ एक कुएं में कूद गई। इन्हें खुद तो बचा लिया गया लेकिन इनके बच्चे की डूबकर मौत हो गई। पुलिस ने पपाथी पर मर्डर का चार्ज लगाया लेकिन उसके वकीलों ने कहा कि इसे नींद में चलने की


आदत थी और वह नींद में ही बच्चे को लेकर कुएं में कूद गई थी। तो क्योंकि उसे नहीं पता था कि वह क्या कर रही है इसलिए उसे सजा नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन जब सेशंस कोर्ट के सामने इस आर्गुमेंट को प्रेजेंट किया गया तो कोर्ट ने इसे रिजेक्ट कर दिया और पपाथी को उमर कैद की सजा सुना दी। कोर्ट ने कहा कि स्लीप वॉकिंग को इंडियन पीनल कोर्ट के सेक्शन 84 के तहत अनसाउंडनेस ऑफ माइंड नहीं माना जाता। रिस्पांस में पपाथी के वकीलों ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील की जिसने इनके कन्विक्शन को तो ओवरटर्न नहीं किया क्योंकि इस केस में कोई एक्सपर्ट


एग्जामिनेशन नहीं हुआ था लेकिन उसमें एक रेवोल्यूशनरी डिसीजन जरूर सामने आया। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि अगर साबित हो जाए कि कोई व्यक्ति सच में स्लीप वॉकिंग कर रहा है तो यह सेक्शन 84 के तहत अनसाउंडनेस ऑफ माइंड माना जाएगा। यह दोस्तों इंडिया की लीगल हिस्ट्री में एक लैंडमार्क केस बन गया क्योंकि इसके बाद यह एस्टैब्लिश हो गया कि स्लीप वॉकिंग एक वैलिड लीगल डिफेंस हो सकता है। लेकिन यहां पर भी बात वही है कि सब कुछ इसी चीज पर डिपेंड करता है कि जज आपकी बात पर कितना यकीन करता है। अब दूसरों को चोट पहुंचाना तो एक चीज हुई लेकिन इसके अलावा दोस्तों


स्लीप वॉकर्स खुद को भी चोट पहुंचा सकते हैं। स्लीप वॉक करते हुए अक्सर लोग दीवारों से टकरा जाते हैं। किसी फर्नीचर या किसी बड़े ऑब्जेक्ट से टकराकर उन्हें काफी भारी चोट आ सकती है। सबसे बड़ा खतरा होता है सीढ़ियों से या बालकनी से नीचे गिरने का एस्पेशली अगर सेफ्टी ग्रिल्स ना लगी हों। जून 2024 को ऐसा ही एक केस मुंबई में हुआ। एक हाई राइज बिल्डिंग के सिक्स्थ फ्लोर पर रहने वाला 19 साल का लड़का मुस्तफा इब्राहिम चूनावाला स्लीप वॉक करते हुए बालकनी में पहुंच गया। इस बालकनी पर कोई सेफ्टी ग्रिल नहीं लगी थी और इसीलिए


इसकी नीचे गिरकर मौत हो गई। इसके बाद सबसे बड़ा खतरा होता है जब लोग स्लीप वॉकिंग के दौरान घर से बाहर निकल कर ट्रैफिक में चले जाते हैं या ड्राइव करना शुरू कर देते हैं। महिलाओं के लिए चीज और भी खतरनाक बन जाती है। अगर आप किसी को जानते हैं जो स्लीप वॉक करते हुए रात को घर से अक्सर बाहर निकल जाते हैं तो इस चीज को बिल्कुल भी लाइटली नहीं लेना चाहिए। एनवायरमेंट को सिक्योर करना सबसे जरूरी चीज है। कोई भी शार्प या डेंजरस ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए। आसानी से रीचेबल। सीढ़ियों पर सेफ्टी गेट्स लगे होने चाहिए और बालकनीज


पर सेफ्टी ग्रिल्स होनी चाहिए। खिड़कियों और दरवाजों को ना सिर्फ लॉक करना है बल्कि उन पर चाइल्ड प्रूफ लैचेस भी लगाने हैं ताकि उन्हें खोलना और मुश्किल हो जाए। वैसे बेस्ट चीज तो यही है कि जो लोग स्लीप वॉकिंग करते हैं वो ग्राउंड फ्लोर पर ही सोने की कोशिश करें। अलर्ट्स के लिए डोर अलार्म्स या मोशन सेंसर्स का इस्तेमाल करें और दवाइयों और बाकी डेंजरस चीजों को किसी सेफ जगह पर लॉक करके रखे

English Summarize


Hey friends, on May 24, 1987, a 23-year-old guy named Kenne Parks was sleeping on his couch in Canada. He had just lost all his money betting on horse races. He was completely drowning in debt and had even lost his job. Just a few hours earlier, he had fallen asleep watching Saturday Night Live on TV. The next day, he planned to get up and go to his in-laws’ place to ask them for some financial help. But before morning came, around 1:30 AM, he suddenly got up from his couch and got into his car. [Music] In the middle of the night, he was driving on the highway, going about 22 miles an hour.

He drives to his in-laws' house, using a key he has to open the gate and walk right in. There, he kills his mother-in-law and seriously injures his father-in-law. Not only that, covered in blood and in a confused state, he goes straight to the police station and tells them, "I just killed two people." His hands were badly wounded, but he didn’t seem to feel any pain. On the way to the hospital in the ambulance, he even told them where he had hidden the murder weapon, the knife. But...

The weirdest thing about this story is that Kenneth Parks had no reason to kill his in-laws. During the trial, what his lawyers said shocked everyone. They claimed that Kenneth Parks committed the crime while he was asleep. He wasn’t in his right mind. So, he shouldn’t be punished because he was sleepwalking. But was Kenneth Parks really sleepwalking? Is it even possible for someone to do all that while asleep? If someone does something like that while sleepwalking, are they held responsible or not? And...

The biggest question, friends, is how do some people behave so strangely while they’re asleep? What’s the science behind it? Let’s dive into the mystery of sleepwalking in today’s video. But before we start, I want to let you know that Dhruv Rathi Academy is having a Diwali mega sale—flat 50% off on all my courses! Whether it’s my Time Management course, where you’ll learn how to maximize productivity and happiness, or my YouTube Blueprint course, which teaches you how to become a content creator and turn YouTube into a part-time or full-time job.

You can build a career. Or check out my highly detailed 10.5-hour master course on AI chatbots that teaches you everything—both theory and practical—about AI tools like ChatGPT and Gemini DeepSeek. Whichever course you choose, you’ll get a flat 50% off until October 2nd. This is the best discount all year! And that’s not all—my AI platform, AI PST, is also offering 41% off during this sale if you buy the annual subscription. Make sure to check it out! You’ll find all the links in the description below, or you can scan this QR code.

Alright, now let's get to the topic. Sleepwalking is medically called somnambulism. It’s a type of sleep disorder that happens during non-REM sleep. So, what’s the deal, guys? Basically, human sleep is divided into two parts. One is Rapid Eye Movement sleep, or REM sleep, and the other is Non-Rapid Eye Movement sleep, or NREM sleep. As you can guess from the names, during REM sleep, when we’re asleep, our eyes move rapidly. Our eyes are closed, but the eyeballs move a lot.

Rapid eye movement keeps happening, but that doesn't occur in NREM sleep. So, when we go to sleep at night, we first enter NREM sleep. NREM sleep itself has three different stages. In the first stage, we start feeling a little sleepy and our ability to react to sounds or external activities decreases. Then, gradually, the sleep gets deeper, and stage three of NREM is the deepest sleep. In this stage, it's really hard to wake a sleeping person, and even if they are woken up, they feel confused.

And then you start feeling disoriented. After going through the three stages of NREM sleep, a person enters REM sleep, and that's when dreams happen. During this stage, our heart rate goes up, and the brain becomes more active. Our brain works to consolidate memories and process emotions. That’s why we dream. By the way, dreaming itself is a very detailed and separate topic, which we’ll discuss in another video. But when it comes to sleepwalking, it happens during the REM stage.

Sleepwalking happens during the deepest stage of sleep, known as NREM stage three. A person who is sleepwalking might have their eyes open and even react to things around them. Seeing this, some people might think they’re awake and aware. But in reality, most of their sensory perceptions are almost completely shut down. So, even though their eyes are open, they can’t really see, smell, or hear anything. Because of their habits and maybe a few light bumps, they manage to avoid objects in their path.

Sleepwalking can happen, but in reality, the person isn’t really aware of what they’re doing. Usually, sleepwalkers have their eyes rolled upwards and inward, and their faces have a blank expression. The most important thing is that they don’t remember anything that happened while sleepwalking once they wake up. If someone is woken up during sleepwalking, they stay confused and disoriented for a while. It’s the same thing that happens when you wake someone up from deep, stage three sleep. Now, when it comes to humans, well, we tend to sleep...

We sleep in cycles. In one sleep cycle, all four sleep stages come one after the other: N1, N2, N3, REM sleep, and then it goes back to N1 again. One sleep cycle lasts anywhere between 90 to 110 minutes. When you go to sleep, in the first half of the night, the N3 stage takes up a relatively bigger part of the cycle, and as morning approaches, the REM sleep part keeps getting longer. The most comfortable time to wake up is during the N1 stage. If you wake up during the N1 stage...

When you wake up, you'll feel pretty fresh and energetic. But if you wake up in the middle of an N3 phase, you'll feel groggy and sleepy. That's why you've probably seen advice on social media saying that if you sleep at night, you should either sleep for 7.5 hours or 9 hours, because that's most likely when a sleep cycle ends. This is based on the assumption that a sleep cycle lasts about 1.5 hours. But in reality, it varies from person to person, so you need to figure out exactly how long your own sleep cycle is.

After you wake up from sleep, you feel fresh. From that, you can tell whether you woke up from deep sleep or some other sleep stage. Coming back to sleepwalking, the episodes can last anywhere from a few minutes to several hours. The frequency varies too—some people have an episode once a month, while others have several times a week. The craziest part is what some people do while sleepwalking. Take British-Australian artist Lee Hadwin, for example. This guy...

He can paint while sleepwalking. I'm not kidding, this is a true story. When he was just 15, he created three paintings of famous Hollywood actresses while sleepwalking. And the craziest part is, he can’t paint when he's fully awake—only in his sleep. He’s expressing himself through his artwork. It’s a really cool example of how the emotional side of the brain can take over when the front parts aren’t in control. There was a similar case in Scotland with a guy named Robert Wood, who would get up at night to eat.

They start making food while still half asleep. They can whip up dishes like omelets and pasta in their sleep, which is why they're called sleepwalking chefs. Talking about some famous Indian examples, cricketer Sachin Tendulkar had a sleepwalking habit early in his career. Sourav Ganguly once shared in an interview that back in 1990, when they were roommates in England, Sachin would get up at 1:30 in the morning, roam around the room aimlessly, and then sit on a chair. They were both roommates in England. One night, Ganguly noticed that Sachin wasn’t really walking around the room properly.

He walks around and around before finally sitting down on a chair. When Ganguly asked Sachin why he did that, he replied that he had a habit of sleepwalking. So the next day, I told him, "Dude, you’re freaking me out. What exactly are you doing at night?" He said, "Yeah, no, I walk in my sleep." So, that was his habit—sleepwalking at night. But, unfortunately, friends, not everyone is that harmless or creative when they sleepwalk. Sometimes people get violent and even commit crimes, like what happened in Canada.

There was the Kenneth Parks case. I’ll talk more about it later in the video. But first, let’s understand why sleepwalking actually happens. In India, there are a lot of rumors about sleepwalking. Some people connect it to ghosts and spirits, while others say it’s memories from past lives. [Music] But the truth is, guys, it has nothing to do with ghosts, past lives, or spirits. Sleepwalking is purely a neurological phenomenon. It happens because the brain wakes up incompletely, meaning part of the brain is still asleep.

It happens that part of the brain stays awake while the rest is asleep. But why does this happen? The exact reason isn’t totally clear. According to the latest scientific research, when the body is getting ready to enter deep sleep—specifically the N3 sleep stage—something goes a bit off during the transition. The processes of falling into deep sleep and waking up end up overlapping. So, when someone sleepwalks, the part of the brain that controls movement is awake, but the part responsible for consciousness is still asleep.

It happens. That’s why motor activities are possible even while sleepwalking. People can walk, sit, stand, and some can even drive cars, cook food, or paint. This is possible because parts of the brain like the brain stem and cerebellum can control complex emotional and motor behaviors without involving the higher neural structures of the brain. You’ve probably studied the autonomic nervous system in school. It keeps us breathing without our conscious will or control.

It controls physiological functions like heart rate and digestion. Our body doesn’t need to think about doing all these tasks. This autonomic nervous system has two branches. One is the sympathetic branch, which handles the fight-or-flight response—basically controlling how we react during danger. The other is the parasympathetic branch, which manages rest-and-digest functions. In 2021, there was a major interesting discovery about this autonomic nervous system in sleepwalkers. This research found that in sleepwalkers, N3...

During sleep, the sympathetic nervous system is less active, while the parasympathetic system stays elevated. This means rest and digest responses ramp up, and fight or flight responses drop way down. This was a pretty surprising discovery because before, it was believed that sleepwalkers would have lower rest and digest activity and higher fight or flight responses during deep sleep, which was thought to cause their sleepwalking. But the latest research shows exactly the opposite.

[Music] According to some recent studies, sleepwalking in older adults can be a sign of neurodegenerative diseases like dementia or Parkinson's, or cognitive decline. There's also a common myth that sleepwalkers walk around like zombies with their arms stretched out in front of them, but that's not true. Another misconception is that if you wake up a sleepwalker, they might have a heart attack or fall into a coma. That’s not true either, like I mentioned before.

It's best not to wake them up because they'll feel confused and really disoriented. Now, one question is, how many people in the world actually have this sleepwalking disorder? According to this meta-analysis, about 6.9% of people have sleepwalked at least once in their life. Sleepwalking is most common in kids. Episodes happen most often in boys aged 7 to 15. But luckily, in most cases, it stops as they grow up. When kids...

When kids sleepwalk, they usually seem calmer or more sluggish. But adults who sleepwalk make quick movements, like they’re in a hurry. They start walking or sitting down really fast. Sometimes, their movements can be so strange that some people might find them scary. We still don’t know exactly why there’s such a big difference between kids and adults when it comes to sleepwalking. Scientists are still trying to figure that out. So, whether you’ll sleepwalk or not, well...

Genetics play a big role in this. According to a study published in JAMA Pediatrics, kids who have one parent with a history of sleepwalking have a 47.4% chance of sleepwalking themselves. But if both parents have a history of sleepwalking, the chances go up to 61.5%. On the other hand, kids whose parents don’t have any sleepwalking history only have about a 22.5% chance. Researchers have identified a genetic locus on chromosome 20q12-13.12 linked to this.

Sleepwalking disorder can sometimes be inherited from parents to kids. But besides genetics, there are a bunch of other things that can trigger sleepwalking episodes in people who are prone to it. The biggest and most common cause is sleep deprivation—just not getting enough sleep. Your body needs enough slow-wave sleep to wake up properly. When you don’t get good quality sleep, the chances of partially waking up and sleepwalking go up. The brain then tries to make up for lost sleep by going into deep sleep for longer periods.

It gets stuck and the transition to the next stage doesn’t happen smoothly. Secondly, stress can also cause episodes of sleepwalking. Third, obstructive sleep apnea is another important factor. It’s a breathing disorder where your breathing stops for short periods while you’re asleep. If someone has severe obstructive sleep apnea, their chances of sleepwalking increase. Fourth, medications like sedatives, antidepressants, and antipsychotics, which are often given to treat heart diseases and anxiety, can also cause sleepwalking.

Walking increases the risk. On the other hand, when it comes to kids, fever or some illness can be common triggers. Kids with asthma tend to have more cases of sleepwalking. Because of asthma, they don’t get proper sleep, which can trigger sleepwalking. But now, friends, coming back to the first story in the video, the question is: if a person commits a crime while sleepwalking, can they be held responsible? This is actually a big legal issue because in criminal law, two things are really important.

There are two things: one is the crime itself, and the other is the intent, meaning the guilty mind. To convict someone of a crime, it's not enough that they just committed the act; you also have to prove the intent—why did they want to do it? What was the reason behind the crime? In cases of sleepwalkers, the body is committing the crime, but their mind isn't involved. So, the crime happened, but there was no intent. In Kenneth Parks' case, his lawyers made the same argument in court—that for a crime to happen, Kenneth...

He can't be held responsible because he didn't do it willingly. His body committed the crime, but his mind isn't guilty. Medical experts also testified that Kenneth was sleepwalking at the time of the crime, which is why the jury acquitted Parks. He was found not guilty. This case became a landmark for the sleepwalking defense worldwide. But it's important to tell you all that the sleepwalking defense doesn't always work, because otherwise anyone could...

Anyone can claim to be sleepwalking to get away with a crime. In such cases, everything depends on how much the judge and jury believe the sleepwalker's story. Usually, courts are pretty skeptical about the sleepwalking defense because they know a lot of criminals will try to use it as an excuse to save themselves. One judge even called it a "quagmire of law." That's why the sleepwalking defense is really controversial in court.

Back in 1997, in the US, a guy named Scott Falater killed his wife at home. He was 44 at the time. In his defense, he said he was sleepwalking. The defense tried to argue that this was a genuine case of sleepwalking. Two experts even testified that Scott was sleepwalking. It was just an opinion, a strong belief, but after hearing all the arguments in court, the judge didn’t believe him. The murder weapon was a hunting knife, found in the spare tire compartment of his car. Because of this, it was assumed that he had...

He tried to hide his murder weapon. After the incident, Scott took off his clothes, put them in a plastic bag, hid them, and even changed into pajamas. [Music] His neighbor Greg also told the court that Scott was wearing gloves before drowning his wife in the pool. He testified that the person wearing gloves was the one who approached the body. Besides that, it was noted that for a sleepwalker to do so much in just one episode is highly unusual. His actions were quite long and very purposeful.

Because of this, Jari didn’t accept that he was sleepwalking and was sentenced to life imprisonment. Just a reminder, natural life in the Department of Corrections. In India’s legal history, the oldest and most important sleepwalking case is Papathi Amalka. She was a young mother who had just given birth a few days earlier. But on the night of October 28, 1957, she jumped into a well with her baby. She was saved, but her baby drowned. The police charged Papathi with murder, but her lawyers argued that she was sleepwalking.

She had a habit and had jumped into the well with the child while sleepwalking. Since she didn’t know what she was doing, she shouldn’t be punished. But when this argument was presented before the Sessions Court, it was rejected, and Papathi was sentenced to life imprisonment. The court said that sleepwalking is not considered unsoundness of mind under Section 84 of the Indian Penal Code. In response, Papathi’s lawyers appealed to the Madras High Court, which didn’t overturn the conviction because there was no expert testimony in the case.

There was no trial, but a groundbreaking decision did come out of it. The Madras High Court said that if it can be proven someone was actually sleepwalking, then under Section 84, it counts as unsoundness of mind. This became a landmark case in India’s legal history because it established that sleepwalking can be a valid legal defense. But the catch is, it all depends on how much the judge believes your story. Now, causing harm to others is one thing, but apart from that, friends...

Sleepwalkers can hurt themselves without even realizing it. They often bump into walls while walking in their sleep. Hitting furniture or big objects can cause serious injuries. The biggest danger is falling down stairs or off balconies, especially if there are no safety grills installed. In June 2024, a case like this happened in Mumbai. A 19-year-old guy named Mustafa Ibrahim Choonawala, who lived on the sixth floor of a high-rise building, ended up in the balcony while sleepwalking. There were no safety grills on that balcony, and that's why...

They died after falling down. The biggest danger comes when people sleepwalk and end up going outside the house, walking into traffic, or even starting to drive. It gets even more dangerous for women. If you know someone who often sleepwalks and leaves the house at night, you should never take it lightly. Securing the environment is the most important thing. There shouldn’t be any sharp or dangerous objects within easy reach. Safety gates should be installed on stairs and balconies.

There should be safety grills on the windows. Not only should windows and doors be locked, but child-proof latches should also be installed to make them harder to open. Ideally, people who sleepwalk should try to sleep on the ground floor. Use door alarms or motion sensors for alerts, and keep medicines and other dangerous items locked away in a safe place. According to data, about 7% of people worldwide experience sleepwalking at least once in their lifetime.

About 3 to 4% of adults commonly sleepwalk, meaning they do it regularly. And this number is higher in kids—up to 15%. So, around 15% of kids worldwide sleepwalk at least on

Bengali Summarize


হেই বন্ধুরা, ২৪ মে ১৯৮৭, কানাডায় ২৩ বছর বয়সী একজন ছেলে কেনে পার্কস তার সোফায় ঘুমাচ্ছিলো। সে ঘোড়ার দৌড়ে জুয়া খেলেও সব টাকা হারিয়েছে। পুরোপুরি ঋণে ডুবে গিয়েছিলো আর চাকরিটাও হারিয়ে ফেলেছিলো। কিছু ঘন্টা আগে সে টিভিতে স্যাটারডে নাইট লাইভ দেখেই ঘুমিয়ে পড়েছিলো। পরের দিন সকালে উঠেই শাশুড়ির বাড়ি যাবে আর ওদের কাছে একটু টাকা সাহায্য চাওয়ার প্ল্যান করেছিলো। কিন্তু সকাল হওয়ার আগেই, রাত আনুমানিক ১:৩০ টায় হঠাৎ করে সে সোফা থেকে উঠে গাড়িতে চড়ে। [সঙ্গীত] মধ্যরাতে সে হাইওয়ে দিয়ে গাড়ি চালাচ্ছিলো, প্রায় ঘণ্টায় ২২ মাইল স্পিডে।

সে গাড়ি চালিয়ে শ্বশুরবাড়িতে যায়, একটা চাবি ব্যবহার করে গেট খুলে সরাসরি ঢুকে পড়ে। সেখানে সে তার শাশুড়িকে হত্যা করে এবং শ্বশুরকে মারাত্মকভাবে আহত করে। শুধু তাই নয়, রক্তে লুণ্ঠিত আর মাথা ঘোরানো অবস্থায় সে সরাসরি থানায় চলে যায় আর বলে, "আমি দুইজনকে মেরে ফেলেছি।" তার হাতগুলো মারাত্মকভাবে জখম ছিল, তবে কোনো ব্যথা পেতো না তার। অ্যাম্বুলেন্সে হাসপাতালে যাওয়ার পথে সে তাদের বলেও দেয় কোথায় সে খুনের হাতিয়ার, ছুরি লুকিয়ে রেখেছে। কিন্তু...

এই গল্পের সবচেয়ে অদ্ভুত ব্যাপার হলো কেনেথ পার্কসের তার শ্বশুর-শাশুড়িকে মারার কোনো কারণই ছিল না। বিচার চলাকালীন, তার আইনজীবীরা যা বলল সবাইকে স্তব্ধ করে দিল। তারা বলল কেনেথ পার্কস অপরাধটা করেছে ঘুমের মধ্যে। সে তখন ঠিকমতো মাথা খুলে ছিল না। তাই তাকে দণ্ডিত করা উচিত না, কারণ সে ঘুম হেঁটছিল। কিন্তু সত্যিই কেনেথ পার্কস কি ঘুম হেঁটছিল? কেউ কি ঘুমের মধ্যে এসব কাজ করতে পারে? কেউ যদি ঘুমের মধ্যে এমন কিছু করে, তাহলে তার দায়িত্ব নেওয়া হয় নাকি হয় না? আর...

সবচেয়ে বড় প্রশ্ন হলো, বন্ধুরা, কেউ কেউ ঘুমের মধ্যে এত অদ্ভুতভাবে কেন আচরণ করে? এর পেছনের বিজ্ঞানটা কী? চলুন আজকের ভিডিওতে আমরা ঘুমের মধ্যে হাঁটার রহস্যটা বুঝতে চেষ্টা করি। তবে শুরু করার আগে বলতেই চাই, ধ্রুব রাঠি একাডেমিতে চলছে দীপাবলি মেগা সেল—আমার সব কোর্সে পাচ্ছেন সোজা ৫০% ছাড়! সেটা হোক আমার টাইম ম্যানেজমেন্ট কোর্স, যেখানে শিখবেন কীভাবে কাজের উৎপাদনশীলতা আর সুখ বাড়াবেন, বা ইউটিউব ব্লুপ্রিন্ট কোর্স, যেখানে শেখানো হয় কীভাবে কনটেন্ট ক্রিয়েটর হওয়া যায় আর ইউটিউবকে পার্ট-টাইম বা ফুল-টাইম জবে পরিণত করা যায়।

তুমি একটা ক্যারিয়ার গড়তে পারো। অথবা আমার ১০.৫ ঘণ্টার বিস্তারিত মাস্টার কোর্সটা দেখে নিতে পারো, যেখানে AI চ্যাটবট নিয়ে সবকিছু শেখানো হয়—থিওরি আর প্র্যাকটিক্যাল—যেমন ChatGPT আর Gemini DeepSeek-এর মত AI টুলস। যে কোর্সই নাও না কেন, অক্টোবর ২ তারিখ পর্যন্ত ৫০% ছাড় পাবো। এটা পুরো বছরজুড়ে সবচেয়ে বড় ডিসকাউন্ট! আর একটা কথা, আমার AI প্ল্যাটফর্ম AI PST-তেও এই সেলে বার্ষিক সাবস্ক্রিপশনে ৪১% ছাড় চলছে। একবার দেখে নিও! সব লিংক নিচে ডেসক্রিপশনে আছে, অথবা এই QR কোডটা স্ক্যান করো।

ঠিক আছে, এখন আসল কথায় আসি। ঘুমিয়ে ঘুরে বেড়ানোকে মেডিক্যালি বলে সোমনাম্বুলিজম। এটা একটা ধরনের ঘুমের সমস্যা যা নন-আরইএম ঘুমের সময় ঘটে। তো, বিষয়টা কী, বন্ধুরা? আসলে, মানুষের ঘুম দুই ভাগে ভাগ করা যায়। একটা হলো র‍্যাপিড আই মুভমেন্ট ঘুম, বা আরইএম ঘুম, আরেকটা হলো নন-র‍্যাপিড আই মুভমেন্ট ঘুম, বা নন-আরইএম ঘুম। নাম থেকেই বুঝতে পারো, আরইএম ঘুমের সময়, যখন আম��া ঘুমিয়ে থাকি, আমাদের চোখ দ্রুত চলাচল করে। চোখ বন্ধ থাকে, কিন্তু চোখের বল অনেক নড়াচড়া করে।

র‍্যাপিড আই মুভমেন্ট বারবার ঘটে, কিন্তু সেটা NREM ঘুমে হয় না। তাই, রাতে ঘুমাতে যেতেই প্রথমে আমরা NREM ঘুমে ঢুকে পড়ি। NREM ঘুমের তিনটা আলাদা স্টেজ আছে। প্রথম স্টেজে আমরা একটু ঘুম পেতে শুরু করি আর বাইরে থেকে কোনো শব্দ বা ঘটনা জানবার ক্ষমতা কমে যায়। তারপর ধীরে ধীরে ঘুম আরও গভীর হয়, আর NREM-এর তৃতীয় স্টেজ সবচেয়ে গভীর ঘুম। এই স্টেজে ঘুমন্ত মানুষকে জাগানো খুব কঠিন, আর জ��গালেও তারা একটু কনফিউজড মনে হয়।

তারপর তোমার মাথা ঘোরাতে শুরু করে। NREM ঘুমের তিনটা ধাপ পেরিয়ে একজন REM ঘুমে ঢুকে পড়ে, আর তখনই স্বপ্ন দেখা শুরু হয়। এই সময়ে আমাদের হৃদস্পন্দন বাড়ে, আর মস্তিষ্ক অনেক বেশি সক্রিয় হয়ে ওঠে। মস্তিষ্ক স্মৃতিগুলো গুছিয়ে রাখে আর আবেগগুলো প্রক্রিয়াজাত করে। তাই আমরা স্বপ্ন দেখি। ওহ হ্যাঁ, স্বপ্ন দেখা নিজেই একদম আলাদা আর বিশদ একটা বিষয়, সেটা আমরা অন্য ভিডিওতে আলোচনা করবো। আর ঘুমের মধ্যে হেঁটে বেড়ানো, সেটা ঘটে REM ধাপে।

ঘুমন্ত হাঁটা ঘটে ঘুমের সবচেয়ে গভীর স্তরে, যাকে NREM স্টেজ থ্রি বলা হয়। যারা ঘুমন্ত হাঁটে, তাদের চোখ খোলা থাকতে পারে আর আশেপাশের জিনিসে কিছুটা প্রতিক্রিয়াও দেখাতে পারে। এটা দেখে অনেকেই ভাবতে পারে তারা জেগে আছে আর সচেতন। কিন্তু আসলে, তাদের বেশিরভাগ ইন্দ্রিয় প্রায় সম্পূর্ণ বন্ধ থাকে। তাই চোখ খোলা থাকলেও তারা আসলে কিছু দেখতে, গন্ধ নিতে বা শুনতে পারে না। তাদের অভ্যাস আর মাঝে মাঝে হালকা ধাক্কা লাগার কারণে তারা পথের বাধাগুলো এড়িয়ে যেতে পারে।

ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটা হতে পারে, কিন্তু আসলে মানুষটা জানে না সে কী করছে। সাধারণত ঘুমন্ত হাঁটার সময় তাদের চোখ উপরে আর ভেতরের দিকে গড়ায়, আর মুখে এক ধরনের ফাঁকা ভাব থাকে। সবচেয়ে বড় ব্যাপার হল, ঘুম থেকে উঠার পর তারা যা করেছিল তা একদম মনে থাকে না। কেউ যদি ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার সময় জাগিয়ে তোলা হয়, তারা কিছুক্ষণ জন্য বিভ্রান্ত আর অস্পষ্ট থাকে। এটা ঠিক সেই একই জিনিস যা ঘটে যখন কেউ গভীর, স্টেজ থ্রি ঘুম থেকে জাগানো হয়। এখন, মানুষের কথা বলতে গেলে, আমরা সাধারণত ঘুমাই...

আমরা ঘুমাই চক্রে চক্রে। এক ঘুমের চক্রে চারটা স্টেজ আসে একটার পর একটা: N1, N2, N3, REM ঘুম, তারপর আবার ফিরে আসে N1। এক ঘুমের চক্র সাধারণত ৯০ থেকে ১১০ মিনিটের মধ্যে চলে। যখন তুমি ঘুমোতে যাও, রাতে প্রথম ভাগে N3 স্টেজ চক্রের একটা বড় অংশ নেয়, আর সকালে যত নিকটে আসো REM ঘুমের অংশ ধীরে ধীরে বাড়তে থাকে। ঘুম থেকে ওঠার সবচেয়ে আরামদায়ক সময় হলো N1 স্টেজের সময়। যদি তুমি N1 স্টেজে ঘুম থেকে উঠে...

তুমি যখন ঘুম থেকে উঠবে, তখন বেশ ফ্রেশ আর এনার্জেটিক লাগবে। কিন্তু যদি তুমি N3 ফেজের মাঝখানে উঠে পড়ো, তাহলে মাথা ভারি আ��� ঘুম হতেও পারে। এজন্যই সোশ্যাল মিডিয়ায় হয়তো দেখেছো, রাতে ঘুমালে ৭.৫ ঘণ্টা বা ৯ ঘণ্টা ঘুমানোই ভালো, কারণ এই সময়গুলোতে সাধারণত একটা স্লিপ সাইকেল শেষ হয়। এটা ধরে নেওয়া হয় যে একটা স্লিপ সাইকেল প্রায় ১.৫ ঘণ্টার মতো হয়। কিন্তু আসলে এটা মানুষের ওপর নির্ভর করে ভিন্ন হয়, তাই তোমাকে নিজে বুঝে নিতে হবে তোমার স্লিপ সাইকেল কতক্ষণ।

ঘুম থেকে উঠে যখন তোমার শরীর ফ্রেশ লাগে, তখনই বুঝতে পারো তুমি গভীর ঘুম থেকে উঠেছো নাকি অন্য কোন ঘুমের স্তর থেকে। আর ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার কথায় ফিরলে, এটা কখনো কয়েক মিনিটের জন্য থাকে, আবার কখনো কয়েক ঘণ্টা পর্যন্ত টেনে যায়। কতবার হয় সেটা ও আলাদা—কেউ মাসে একবার হয়, কেউ আবার সপ্তাহে কয়েকবার। সবচেয়ে পাগলামী ব্যাপার হল ঘুমন্ত অবস্থায় কেউ কী কী করতে পারে। ধরো, ব্রিটিশ-অস্ট্রেলিয়ান আর্টিস্ট লি হ্যাডউইন, এই মানুষটা...

সে ঘুমের মধ্যে ছবি আঁকতে পারে। আমি মজা করছি না, এটা একদম সত্যি ঘটনা। সে মাত্র ১৫ বছর বয়সে ঘুমের মধ্যে তিনটা বিখ্যাত হলিউড অভিনেত্রীর ছবি আঁকেছিল। আর সবচেয়ে পাগলামি ব্যাপার হচ্ছে, সে পুরো জেগে থাকলে ছবি আঁকতে পারে না—শুধুমাত্র ঘুমের মধ্যে। সে তার শিল্পকর্মের মাধ্যমে নিজেকে প্রকাশ করছে। এটা অনেক ভালো উদাহরণ যে কিভাবে মস্তিষ্কের আবেগপূর্ণ পাশটা সামলাতে পারে যখন সামনের অংশগুলো নিয়ন্ত্রণে থাকে না। স্কটল্যান্ডেও একই ধরনের একটা ঘটনা ঘটেছিল, যেখানে রবার্ট উড নামের একজন রাতের বেলা উঠে খেতে যেত।

তারা এখনও আধা ঘুমিয়ে থাকা অবস্থায় খাবার তৈরি করতে শুরু করে। ওমলেট আর পাস্তার মতো ডিশ ঘুমিয়ে ঘুমিয়ে বানিয়ে ফেলা তাদের জন্য তো খুবই সহজ, এ কারণেই তাদের বলা হয় স্লীপওয়াকিং শেফ। কিছু বিখ্যাত ভারতীয় উদাহরণ বলতে গেলে, ক্রিকেটার সাচিন তেন্ডুলকারের ক্যারিয়ারের শুরুতেই স্লীপওয়াকিং এর অভ্যাস ছিল। সৌরভ গাঙ্গুলী একবার একটা ইন্টারভিউতে বলেছিলেন, ১৯৯০ সালে যখন তারা ইংল্যান্ডে রুমমেট ছিল, সাচিন রাত ১:৩০ টায় উঠে ঘরটায় অজান্তে ঘুরে বেড়াতো, তারপর একটা চেয়ারে বসে থাকতো। ওরা দুজনে তখনই ইংল্যান্ডে রুমমেট ছিল। এক রাতে গাঙ্গুলী লক্ষ্য করলেন, সাচিন আসলেই ঠিক মতো ঘরটা ঘোরে না।

সে বারবার ঘুরে বেড়ায় তারপর অবশেষে একটা চেয়ারে বসে পড়ে। গাঙ্গুলী যখন সাচিনকে জিজ্ঞেস করলেন কেন এমন করে, সে বলল যে তার ঘুমের মধ্যে হাঁটার অভ্যাস আছে। তাই পরদিন আমি বললাম, "ভাই, তুমি তো আমাকে ভয় পাচ্ছো। রাতেও ঠিক কি করো?" সে বলল, "হ্যাঁ, আমি ঘুমের মধ্যে হাঁটি।" তো, এটাই তার অভ্যাস—রাতে ঘুমের মধ্যে হাঁটা। কিন্তু দুঃখের বিষয়, বন্ধুরা, সবাই এত নির্দোষ বা সৃষ্টিশীল নয় ঘুমের মধ্যে হাঁটার সময়। কখনো কখনো কেউ আক্রমণাত্মক হয়ে পড়ে, এমনকি অপরাধও করে, যেমন কানাডায় ঘটেছিল।

কেনেথ পার্কসের একটা ঘটনা ছিল। পরে ভিডিওতে এটার ব্যাপারে আরও বলব। কিন্তু আগে আসলেই বুঝে নেই ঘুমোহাটা কেন ঘটে। ভারতের মধ্যে ঘুমোহাটা নিয়ে অনেক গপ্পো শোনা যায়। কেউ বলে এটা ভূত-প্রেতের কাজ, আবার কেউ বলে এটা আগের জন্মের স্মৃতি। [সঙ্গীত] কিন্তু সত্যি কথা বলতে, এইসব ভূত-প্রেত বা পুরনো জীবনের স্মৃতির সঙ্গে এর কোনো সম্পর্ক নেই। ঘুমোহাটা একদম নিউরোলজিক্যাল একটা ঘটনা। কারণ হোল, মস্তিষ্ক পুরোপুরি জাগে না, মানে মস্তিষ্কের একটা অংশ এখনও ঘুমিয়ে থাকে।

মস্তিষ্কের একটা অংশ জেগে থাকে আর বাকিটা ঘুমিয়ে থাকে এমনটা ঘটতে পারে। কিন্তু এটা কেন হয়? এর সঠিক কারণ এখনও পুরোপুরি বোঝা যায়নি। সাম্প্রতিক বৈজ্ঞানিক গবেষণা অনুযায়ী, যখন শরীর গভীর ঘুমের—বিশেষ করে N3 স্তরের ঘুমে—প্রস্তুতি নিচ্ছে, তখন ট্রানজিশনের সময় কিছুটা গোলমাল হয়। গভীর ঘুমে যাওয়া আর জেগে ওঠার প্রক্রিয়া একসাথে ওভারল্যাপ করে। তাই যখন কেউ ঘুমিয়ে হাঁটে, তখন মস্তিষ্কের যে অংশটি আন্দোলন নিয়ন্ত্রণ করে সেটা জেগে থাকে, কিন্তু সচেতনতার অংশটা এখনও ঘুমিয়ে থাকে।

এমনও হয়। তাই ঘুমের মধ্যে হাঁটাহাঁটি করাও সম্ভব। কেউ কেউ হাঁটতে পারে, বসতে পারে, দাঁড়াতে পারে, আবার কেউ গাড়ি চালাতে পারে, রান্নাও করতে পারে, এমনকি ছবি আঁকতে পারে। এটা সম্ভব কারণ মস্তিষ্কের কিছু অংশ যেমন ব্রেন স্টেম আর সেরেবেল্লাম জটিল আবেগ ও শারীরিক কাজগুলো নিয়ন্ত্রণ করতে পারে, সেটা মস্তিষ্কের উচ্চতর অংশ জড়িত না থাকলেও। তুমি তো স্কুলে অটোনোমিক নার্ভাস সিস্টেম সম্পর্কে পড়েছো নিশ্চয়। এটা আমাদের শ্বাস-প্রশ্বাস নিয়ন্ত্রণ করে, যেটা আমরা নিজের ইচ্ছায় বা নিয়ন্ত্রণে রাখি না।

এটা শরীরের বিভিন্ন কাজ যেমন হার্টের ধড়কন আর হজম নিয়ন্ত্রণ করে। আমাদের শরীরের এসব কাজ করার জন্য আলাদা ভাবতে হয় না। এই অটোনোমিক নার্ভাস সিস্টেমের দুইটা শাখা থাকে। একটা হলো সিমপ্যাথেটিক শাখা, যা লড়াই বা পালানোর রেসপন্স নিয়ন্ত্রণ করে—মুলত বিপদে আমরা কিভাবে রিয়্যাক্ট করব সেটা সামলায়। আরেকটা হলো প্যারাসিমপ্যাথেটিক শাখা, যা বিশ্রাম নেয়া আর হজমের কাজগুলো সামলায়। ২০২১ সালে এই অটোনোমিক নার্ভাস সিস্টেম নিয়ে ঘুমন্ত হাঁটার মানুষদের ওপর একটা বড় মজার আবিষ্কার হয়। ওই রিসার্চে দেখা গেছে যে ঘুমন্ত হাঁটার মানুষের N3...

ঘুমের সময় sympathetic nervous system কম কাজ করে, আর parasympathetic system বেশি সক্রিয় থাকে। মানে শরীর বিশ্রাম নেওয়া আর খাবার হজম করার প্রক্রিয়া বাড়ে, আর যুদ্ধ বা পালানোর মত প্রতিক্রিয়া অনেক কমে যায়। আগে ধারণা ছিল, ঘুমের মধ্যে যারা পায়ে হেঁটে ঘুমান তাদের rest and digest activity কম থাকে আর fight or flight response বেশি থাকে, তাই ওরা ঘুমের মধ্যে হেঁটে বেড়ায়। কিন্তু নতুন গবেষণায় ঠিক উল্টোটাই দেখা গেছে।

[সঙ্গীত] কিছু সাম্প্রতিক গবেষণায় দেখা গেছে, বয়স্কদের ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার সমস্যা নিউরোডিজেনারেটিভ রোগ যেমন ডিমেনশিয়া বা পারকিনসন্স কিংবা মস্তিষ্কের ক্ষমতার অবনতি নির্দেশ করতে পারে। একটা সাধারণ ভুল ধারণা আছে যে ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটা মানেই তারা হাত সামনের দিকে বাড়িয়ে যাদের মতো করে হাঁটে, কিন্তু সেটা সত্য নয়। আরেকটা ভুল ধারণা হলো, যদি কোনো ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার ব্যক্তিকে জাগানো হয়, তারা হৃদরোগে আক্রান্ত হবে বা কোমায় পড়ে যাবে। সেটা ও ঠিক নয়, যেমন আমি আগেই বলেছি।

তাদের জাগানো ভালো না কারণ তাতে তারা 혼란িত আর একদম বিভ্রান্ত লাগবে। এখন একটা প্রশ্ন হলো, আসলে পৃথিবীতে কতজনের এই স্লিপওয়াকিং ডিস্টার্বেন্স আছে? এই মেটা-অ্যানালিসিস অনুযায়ী, প্রায় ৬.৯% মানুষ জীবনে অন্তত একবার স্লিপওয়াক করেছে। স্লিপওয়াকিং সবচেয়ে বেশি দেখা যায় বাচ্চাদের মধ্যে। এই ধরনের ঘটনা বেশি হয় ৭ থেকে ১৫ বছর বয়সী ছেলেদের মধ্যে। কিন্তু ভাগ্যক্রমে, বেশিরভাগ ক্ষেত্রে তারা বড় হওয়ার সঙ্গে সঙ্গে এটা বন্ধ হয়ে যায়। যখন বাচ্চারা...

শিশুরা যখন ঘুমের মাঝে হাঁটে, তারা সাধারণত একটু শান্ত বা ধীরগতির দেখায়। কিন্তু বড়রা যখন ঘুমের মাঝে হাঁটে, তারা দ্রুত গতিতে 움직ায়, যেন তাড়াহুড়া করে চলেছে। হঠাৎ করে খুব দ্রুত হাঁটা বা বসে পড়া শুরু করে। কখনো কখনো তাদের চলাফেরা এত অদ্ভুত হয় যে কেউ কেউ তাকে ভয়ংকর হিসেবেও মনে করতে পারে। শিশুরা আর বড়দের মধ্যে ঘুমের মাঝে হাঁটার এত বড় পার্থক্যের কারণ আমরা এখনও পুরোপুরি বুঝতে পারিনি। বিজ্ঞানিরা এখনও এটা খুঁজে বের করার চেষ্টা করছে। তো, তুমি ঘুমের মাঝে হাঁটবে না হাঁটবে, সেটা... যাই হোক।

জিনের ব্যাপারটা এখানে অনেক বড় ভুমিকা রাখে। JAMA Pediatrics-এ প্রকাশিত এক গবেষণায় দেখা গেছে, যাদের এক জন বাবা-মার ঘুমের সময় হেঁটে ফেরা করার ইতিহাস আছে, তাদের ছেলেমেয়েদেরও ঘুমের সময় হেঁটে ফেরা করার সম্ভাবনা প্রায় ৪৭.৪%। আর যদি দুইজনই এই ইতিহাস থাকে, তখন সম্ভাবনা বেড়ে যায় ৬১.৫%। অন্যদিকে, যাদের বাবা-মায়ের এমন কোনো ইতিহাস নেই, তাদের ছেলেমেয়েদের মাত্র প্রায় ২২.৫% সম্ভাবনা থাকে। গবেষকরা ক্রোমোজোম ২০q12-13.12-এ একটা জিন সংক্রান্ত এলাকা খুঁজে পেয়েছেন যেটা এই সঙ্গে জড়িত।

ঘুমন্ত হাঁটার সমস্যা কখনো কখনো বাবা-মা থেকে সন্তানদের মধ্যে চলে আসতে পারে। কিন্তু জেনেটিকস ছাড়াও আরও অনেক কারণ আছে যা ঘুমন্ত হাঁটার ঘটনা ঘটাতে পারে, বিশেষ করে যাদের এই সমস্যা থাকে তাদের মধ্যে। সবচেয়ে বড় এবং সাধারণ কারণ হলো ঘুমের অভাব—পর্যাপ্ত ঘুম না পাওয়া। তোমার শরীরের ভালোভাবে জেগে উঠতে পর্যাপ্ত ধীর তরঙ্গ ঘুম দরকার। যখন তুমি ভালো মানের ঘুম পাবে না, তখন আংশিকভাবে জেগে ওঠার এবং ঘুমন্ত হাঁটার সম্ভাবনা বেড়ে যায়। তখন মস্তিষ্ক হারানো ঘুম পূরণ করতে গভীর ঘুমে বেশি সময় কাটানোর চেষ্টা করে।

এটা আটকে যায় আর পরের ধাপে সোজা চলে যায় না। দ্বিতীয়ত, স্ট্রেসও ঘুমন্ত হাটা ঘটাতে পারে। তৃতীয়ত, অবস্ট্রাকটিভ স্লিপ অ্যাপনাও একটা বড় কারণ। এটা একটা শ্বাসনালীর সমস্যা, যেখানে ঘুমানোর সময় শ্বাস নিতে কিছুক্ষণ থেমে যায়। কারো যদি গুরুতর অবস্ট্রাকটিভ স্লিপ অ্যাপনা থাকে, তাদের ঘুমন্ত হাটা হওয়ার সম্ভাবনা বেড়ে যায়। চতুর্থত, সেডেটিভ, অ্যান্টিডিপ্রেসেন্ট আর অ্যান্টিসাইকোটিক ওষুধ, যা সাধারণত হার্টের রোগ আর উদ্বেগ কমাতে দেওয়া হয়, সেগুলোও ঘুমন্ত হাঁটার কারণ হতে পারে।

হাঁটাহাঁটি করলে ঝুঁকি বেড়ে যায়। অন্যদিকে, যখন কথা আসে বাচ্চাদের, জ্বর বা কোনো অসুস্থতা সাধারণ কারণ হতে পারে। অ্যাজমা থাকা বাচ্চাদের মধ্যে ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার ঘটনা বেশি হয়। অ্যাজমার কারণে তারা ঠিকমতো ঘুমাতে পারে না, আর তাই ঘুমন্ত হাঁটার সমস্যা হয়। এখন, বন্ধুদের, ভিডিওর প্রথম গল্পে ফিরে আসি, প্রশ্ন হলো: কেউ যদি ঘুমন্ত অবস্থায় অপরাধ করে, তাহলে তাকে কি দায়ী করা যায়? এটা আসলে বড় একটা আইনি জটিলতা, কারণ ফৌজদারি আইনে দুইটা জিনিস খুবই গুরুত্বপূর্ণ।

দুটি জিনিস থাকে: একটা হলো অপরাধটা নিজেই, আরেকটা হলো উদ্দেশ্য, অর্থাৎ দোষী মনোভাব। কাউকে অপরাধে দোষী সাব্যস্ত করতে হলে শুধু কাজটা করা যথেষ্ট নয়; তোমাকে উদ্দেশ্যও প্রমাণ করতে হবে—তারা কেন সেটা করতে চেয়েছিল? অপরাধের পেছনে কী কারণ ছিল? ঘুম থেকে হাটা লোকদের ক্ষেত্রে, শরীরই অপরাধটা করছে, কিন্তু তাদের মন জড়িত থাকে না। তাই, অপরাধটা হয়েছে, কিন্তু কোনো উদ্দেশ্য ছিল না। কেনেথ পার্কসের মামলায়, তার আইনজীবীরাও আদালতে একই যুক্তি দিয়েছিল যে অপরাধ ঘটার জন্য কেনেথ...

সে দায়ী হতে পারে না কারণ ও ইচ্ছাকৃতভাবে সেটা করেনি। তার দেহই অপরাধটা করেছে, কিন্তু তার মন দোষী নয়। চিকিৎসা বিশেষজ্ঞরাও সাক্ষ্য দিয়েছেন যে কেনেথ অপরাধের সময় ঘুমিয়ে হাঁটছিল, এজন্য জুরি পার্কসকে বেকসুর খালাস দিয়েছে। ওকে দোষী সাব্যস্ত করা হয়নি। এই মামলা ঘুমিয়ে হাঁটার ডিফেন্স হিসেবে বিশ্বব্যাপী একটি মাইলফলক হিসেবে বিবেচিত হয়। কিন্তু তোমাদের সবাইকে এটা বলাটা জরুরি যে ঘুমিয়ে হাঁটার ডিফেন্স সবসময় কাজ করে না, কারণ না হলে যে কেউ...

যে কেউ ঘুমের মধ্যে হাঁটছি বলে দাবি করে অপরাধ থেকে বাঁচার চেষ্টা করতে পারে। এমন ক্ষেত্রে সবকিছু নির্ভর করে বিচারক আর জুরি কতটা বিশ্বাস করে ঘুমন্ত মানুষের কথাটা। সাধারণত, আদালতরা ঘুমের মধ্যে হাঁটার যুক্তিতে খুব সন্দেহভাজন থাকে, কারণ তারা জানে অনেক অপরাধী এটা নিজেদের বাঁচানোর ছলনার মতো ব্যবহার করবে। এক বিচারক তো একে "আইনের জটিল গর্ত" বলেই উল্লেখ করেছেন। তাই ঘুমের মধ্যে হাঁটার যুক্তি আদালতে অনেক বিতর্কিত।

১৯৯৭ সালে আমেরিকায়, স্কট ফ্যালাটার নামের এক লোক তার বাড়িতেই তার স্ত্রীকে হত্যা করেছিল। তখন তার বয়স ছিল ৪৪ বছর। নিজের পক্ষ থেকে সে বলেছিল সে নিদ্রালু ছিল। তার পক্ষে যুক্তি দেওয়া হয়েছিল এটা সত্যি নিদ্রালুতার কারণেই হয়েছে। দুইজন বিশেষজ্ঞও সাক্ষ্য দিয়েছিলো স্কট নিদ্রালু অবস্থায় ছিল। এটা ছিল শুধু একটা মতামত, এক ধরনের দৃঢ় বিশ্বাস, কিন্তু আদালতে সব যুক্তি শুনে বিচারক তার কথা বিশ্বাস করেননি। হত্যার অস্ত্র ছিল একটি শিকার করার ছুরি, যা তার গাড়ির স্পেয়ার টায়ারের ডিব্বায় পাওয়া গিয়েছিল। এই কারণে ধারণা করা হয়েছিল যে সে...

সে তার হত্যার অস্ত্র লুকানোর চেষ্টা করেছিল। ঘটনাটার পর স্কট তার জামাকাপড় খুলে প্লাস্টিক ব্যাগে ভরে লুকিয়ে দিল, এমনকি পাজামাও বদলে পরল। [সঙ্গীত] তার প্রতিবেশী গ্রেগ আদালতে বলেছিল, স্কট পুলে তার স্ত্রীকে ডুবিয়ে মারার আগে গ্লাভস পরেছিল। সে সাক্ষ্য দিয়েছিল যে, গ্লাভস পরা লোকটাই লাশের কাছে গিয়েছিল। এছাড়া, ঘুমন্ত অবস্থায় এমন অনেক কাজ একবারে করা খুবই অস্বাভাবিক বলে মনে করা হয়। তার কাজগুলো বেশ দীর্ঘমেয়াদী এবং খুবই উদ্দেশ্যমূলক ছিল।

এই কারণে জারি স্বপ্নদোষে হাঁটার কথা মানতে পারেনি এবং তাকে যাবজ্জীবন কারাদণ্ড দেওয়া হয়েছিল। একটু বোঝানোর জন্য বলছি, যেটা ডিপার্টমেন্ট অফ করেকশন্সে প্রাকৃতিক যাবজ্জীবন বলা হয়। ভারতের আইন ইতিহাসে সবচেয়ে পুরনো এবং গুরুত্বপূর্ণ স্বপ্নদোষের মামলা হলো পাপাথি আমলকা। তিনি ছিলেন এক তরুণ মা, যিনি কয়েক দিন আগে সদ্য প্রসব করেছিলেন। কিন্তু ১৯৫৭ সালের ২৮ অক্টোবর রাতে, তিনি তার শিশুকে নিয়ে কুয়োয় লাফিয়ে পড়েন। তিনি বাঁচিয়ে নেওয়া হয়েছিল, কিন্তু তার শিশু ডুবে মারা যায়। পুলিশ পাপাথিকে হত্যা মামলায় অভিযুক্ত করে, কিন্তু তার আইনজীবীরা যুক্তি দেন যে তিনি স্বপ্নদোষে হাঁটছিলেন।

তার একটা অভ্যাস ছিল, আর ঘুমিয়ে হাঁটার সময় বাচ্চাটার সঙ্গে কুয়োয় ঝাঁপ দিয়েছিল। যেহেতু সে কী করছিল জানত না, তাই তাকে শাস্তি দেওয়া উচিত নয়। কিন্তু যখন এই যুক্তি সেশন কোর্টে উপস্থাপন করা হলো, তখন তা প্রত্যাখ্যাত হয়, আর পাপাথিকে যাবজ্জীবন কারাদণ্ড দেওয়া হয়। আদালত বললো, ঘুমিয়ে হাঁটা আইপিসি’র ধারা ৮৪ অনুযায়ী মনঃস্বাস্থ্যহীনতা হিসেবে গণ্য হয় না। এর জবাবে, পাপাথির আইনজীবীরা মাদ্রাজ হাই কোর্টে আপীল করেন, কিন্তু সেখানে মামলা খারিজ করা হয় কারণ মামলায় কোনো বিশেষজ্ঞ সাক্ষ্য ছিল না।

কোনো বিচার হয়নি, কিন্তু একটা দারুণ সিদ্ধান্ত বেরিয়ে এসেছে। মাদ্রাজ হাইকোর্ট বলেছে, যদি প্রমাণ করা যায় কেউ আসলেই ঘুম হাঁটছিল, তাহলে সেকশন ৮৪ অনুযায়ী সেটা মানসিক অস্বাভাবিকতার মধ্যে পড়ে। এটা ভারতের আইনি ইতিহাসে একটা মাইলফলক মামলা হয়ে গেছে, কারণ এই সিদ্ধান্ত দিয়েছে ঘুম হাঁটা আইনগত ভাবে একটা বৈধ প্রতিরক্ষা হতে পারে। কিন্তু সমস্যাটা হলো, সবকিছুই বিচারকের আপনার গল্পে কতটা বিশ্বাস তার উপর নির্ভর করে। এখন, অন্যদের ক্ষতি করা একটা কথা, কিন্তু তার বাইরে আরেকটা ব্যাপার আছে, বন্ধুরা...

ঘুমের মাঝে হাঁটা মানুষরা অনেক সময় নিজেরাই বুঝতে পারে না যে আহত হয়ে গেছে। ঘুমের মধ্যে হাঁটার সময় তারা প্রায়ই দেয়ালের সঙ্গে ঠেকা খায়। ফার্নিচার বা বড় কোনো জিনিসের সঙ্গে ধাক্কা লাগলে মারাত্মক চোট পেতে পারে। সবচেয়ে বড় বিপদ হলো সিঁড়ি থেকে নিচে পড়ে যাওয়া বা বারান্দা থেকে পড়ে যাওয়া, বিশেষ করে যখন সেখানে কোনো সুরক্ষার গ্রিল না থাকে। জুন ২০২৪-এ মুম্বাইতে এমন একটা ঘটনা ঘটেছিল। এক ১৯ বছর বয়সী ছেলে, মুসতাফা ইবরাহিম চুনাওয়ালা, যিনি এক উঁচু বিল্ডিংয়ের ষষ্ঠ তলায় থাকতেন, ঘুমের মধ্যে বারান্দায় চলে গিয়েছিলেন। ওই বারান্দায় কোনো সুরক্ষার গ্রিল ছিল না, আর তাই...

তারা পড়ে মারা গেছে। সবচেয়ে বড় ঝুঁকি আসে যখন কেউ ঘুমিয়ে ঘুরে বেড়ায় আর বাইরে চলে যায়, রাস্তার যানজটে চলে পড়ে, বা এমনকি গাড়ি চালানো শুরু করে। মহিলাদের জন্য এটা আরও ঝুঁকিপূর্ণ হয়ে ওঠে। যদি আপনার জানা কেউ রাতের বেলা ঘুমিয়ে ঘুরে বেড়ায় আর বাড়ি থেকে বেরিয়ে যায়, তাহলে এটা কখনো হালকাভাবে নেবেন না। পরিবেশটা নিরাপদ রাখা সবচেয়ে জরুরি। সহজে পৌঁছানোর জায়গায় যেন তীক্ষ্ণ বা বিপজ্জনক কোনো জিনিস না থাকে। সিঁড়ি আর বারান্দায় নিরাপত্তার জন্য গেট লাগানো উচিত।

জানালায় নিরাপত্তার গ্রিল থাকা উচিত। শুধু জানালা আর দরজা লক করা নয়, ছোটদের জন্য চাইল্ড-প্রুফ ল্যাচও লাগানো দরকার যাতে খুলতে কঠিন হয়। যারা ঘুমিয়ে হাঁটেন, ideally তারা নিচতলায় ঘুমানো চেষ্টা করবেন। দরজায় আলার্ম বা মুভমেন্ট সেন্সর লাগিয়ে সতর্ক থাকা ভালো, আর ওষুধ সহ অন্যান্য ঝুঁকিপূর্ণ জিনিসপত্র একটা সেফ জায়গায় তালাবদ্ধ রাখা উচিত। তথ্য অনুযায়ী, পৃথিবীর প্রায় ৭% মানুষ জীবনে অন্তত একবার ঘুমিয়ে হাঁটার অভিজ্ঞতা পান।

প্রায় ৩ থেকে ৪ শতাংশ বড়রা নিয়মিত ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটে, অর্থাৎ তারা ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটার অভ্যাস রাখে। আর এই সংখ্যা শিশুদের মধ্যে বেশি—প্রায় ১৫ শতাংশ। তাই, পৃথিবীর প্রায় ১৫ শতাংশ শিশু কমপক্ষে একবার তাদের শৈশবে ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটেছে। ভালো খবর হলো, মাঝে মাঝে ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটা সাধারণত বড় কোনো সমস্যা নয়, এবং বেশিরভাগ শিশুর ক্ষেত্রে এটা বড় হওয়ার সাথে সাথে চলে যায়। আপনি যদি পিতা-মাতা হন এবং কখনো আপনার সন্তানকে ঘুমন্ত অবস্থায় হাঁটতে দেখেন, তাহলে প্রথমেই নিশ্চিত করুন তার আশেপাশের পরিবেশটা নিরাপদ।

শিশু যে ঘরে ঘুমায় সেখানে কোনো ধারালো জিনিস রাখা যাবে না। মেঝেতে এমন কিছু থাকবে না যাতে সে পা কেঁপে পড়তে পারে। সব সময় দরজা ও জানালা লক করে রাখো, আর যদি বাচ্চারা ছোট হয়, তাহলে বিছানার পাশে গার্ড রেল কিনে দিতে পারো। এটা একটা সিম্পল সেফটি নেট যা বিছানার তিন পাশে ম্যাট্রেসের নিচে লাগানো হয়। এগুলো অনলাইনে সহজেই পাওয়া যায়। আর যদি রাতে দেখো তোমার বাচ্চা ঘুমিয়ে হাঁটছে, তাহলে জাগানোর দরকার নেই, শুধু আলতো করে ওকে আবার বিছানায় নিয়ে যাও।

তাদের আবার বিছানায় বসিয়ে দিন। যদি কথা বলার দরকার হয়, খুব শান্ত এবং নরম কণ্ঠে কথা বলুন যাতে তারা আবার সহজেই ঘুমিয়ে পড়ে। কিন্তু চেষ্টা করবেন যেন তাদের জাগিয়ে না দিন। আরেকটা জিনিস, যদি আপনার বাচ্চা প্রতি রাতে একই সময়ে ঘুম হাঁটে, তাহলে ওই সময়ের প্রায় ১৫ মিনিট আগে হালকাভাবে তাকে জাগিয়ে দিন। কয়েকবার এটা করার মাধ্যমে ওই রুটিন ভাঙা যায়। আর আপনি যদি বড় হন এবং ঘুম হাঁটেন, তাহলে যেসব কারণ সেটা বাড়ায় সেগুলোর দিকে খেয়াল দিন আর আপনার জীবনধারায় পরিবর্তন আনুন।

তোমার ঘুমের অভ্যাস ভালো করতে হবে। নিয়মিত একটা ঘুমের রুটিন মেনেই চলা খুব জরুরি। প্রতিদিন একই সময়ে ঘুমাতে যাওয়া এবং একই সময়ে উঠা চেষ্টা করো। দৈনন্দিন জীবনের চাপ যতটা সম্ভব কমাও। প্রয়োজনে থেরাপিও নিতে পারো। আর সবশেষে মনে রাখো, ঘুমন্ত হাঁটা কোনো অতিপ্রাকৃত কিছু না। এটা আসলে মানুষের মস্তিষ্কের একটা চমকপ্র